Nita Ambani

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Nita Ambani पैठणी साड़ी में नीता अंबानी का खूबसूरत अंदाज, जानें इस साड़ी की खासियत, लाखों में होती है कीमत

नीता अंबानी ने सुंदर नीले और सोने के सिल्क साड़ी में पारंपरिक शैली को अपनाया:

उच्च प्रोफाइल घटनाओं और भव्य सभाओं की दुनिया में, प्रमुख भारतीय व्यापारिक और धर्मनिरपेक्ष नीता अंबानी हमेशा एक स्टाइल आइकॉन रही हैं। अपनी कृपा और लवजी से जानी जाने वाली नीता अंबानी ने हाल ही में अपनी बहुत ही सुंदर नीले और सोने के सिल्क साड़ी में दिलचस्प दिखाई की। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम उसके पारंपरिक वस्त्र के विवरणों में खोज करेंगे, साड़ी के सांस्कृतिक महत्व को अन्वेषित करेंगे, और उसके फैशन चयनों के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों का समाधान करेंगे।

Nita Ambani:

हाल ही में सभी जगह धूमधाम से गणेश उत्सव की शुरूआत हुई है। इसी क्रम में देश के जाने-माने बिजनेसमैन मुकेश अंबानी ने अपने घर बप्पा का स्वागत किया था। एंटीलिया में स्थापित गणपति के दर्शन के लिए कई दिग्गज सितारे अपने परिवार के साथ वहां पहुंचे। इस मौके पर पूरा अंबानी परिवार वहां मौजूद था।

इस खास मौके के लिए मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी भी वहां खूबसूरत सी हरे रंग की साड़ी पहनकर मौजूद थीं। उनके इस खूबसूरत लुक ने लोगों को अपनी तरफ आकर्षिक किया। नीता अंबानी ने जो हरे रंग की साड़ी पहनी थी, वो कोई आम साड़ी नहीं थी। दरअसल, ये पैठणी साड़ी है, जिसका इतिहास बेहद खास है। ये देखने में जितनी खूबसूरत है, इतनी ज्यादा मेहनत इसे बनाने में लगती है। आज के अपने इस लेख में हम आपको इस साड़ी की खासियत बताने जा रहे हैं।

कहां बनाई जाती हैं पैठणी साड़ी:

सबसे पहले बात करते हैं इस साड़ी के इतिहास की तो इसको बनाने की शुरूआत महाराष्ट्र के औरंगाबाद से 50 कि.मी दूर पैठण नाम की जगह पर सतवाहना वंश के समय हुई थी। पैठण नाम की वजह से ही इस साड़ी का नाम पैठाणी पड़ा। यहां से शुरूआत होने के बाद इसे पुणे के एक पेशवा ने शिरडी के पास यिओला नामक पर जगह पर भी बनाने का आदेश दिया।


हमेशा रहती हैं डिमांड में:

काफी समय बदलने के बावजूद इस तरह की 5.5 मीटर लंबी पैठनी साड़ी की हमेशा डिमांड रहती है। इस साड़ी को मलबरी सिल्क का इस्तेमाल करके बनाया जाता है। पैठनी साड़ियों की सबसे खास बात उसकी ‘कडियाल’ बुनाई तकनीक है, जिसमें एक मजबूत और टिकाऊ फैब्रिक बनाने के लिए ताने और बाने के धागों को इंटरलॉक किया जाता है।

साड़ी पर होता है सोने का काम:

इस साड़ी पर जरी के काम के लिए सोने या चांदी के तारों का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि इसकी कीमत ज्यादा होने की वजह से अब कई जगह अन्य धातुओं का इस्तेमाल भी किया जाता है। इस पूरी साड़ी को हाथ से ही बुना जाता है।

चटक रंगों में होती हैं उपलब्ध:

इस तरह की साड़ियां नई दुल्हनों के लिए सबसे सही रहती हैं, क्योंकि इनके रंग काफी चटक से होते हैं। इन साड़ियों पर ज्यादातर तोते, मोर, फूल, देवी-देवताओं और आसावली की डिजाइन बनाई जाती है।


नीले और सोने के सिल्क साड़ी का आद्भूतता:

नीता अंबानी के फैशन चयनों ने अक्सर भारतीय वस्त्रों की धन्यवाद भरी विरासत का समर्थन किया है, और उसकी हाल ही की नीली और सोने की सिल्क साड़ी में दृश्यशास्त्री रूप से कोई अपशब्द नहीं है। साड़ी, एक पारंपरिक भारतीय परिधान, सौंदर्य और शाश्वत सौंदर्य का प्रतीक है। चलिए देखते हैं कि उसकी साड़ी को क्या उनकी खड़ी हो जाती है/

  1. रंग सारणी:नीले और सोने का चयन ऐसा चुनौतीपूर्ण संयोजन बनाता है जो विशेष अवसरों के लिए कौशल और रौनक की भावना को उत्पन्न करता है। नीला आत्मशांति के साथ जुड़ा होता है, जबकि सोना विशेष अवसरों के लिए एक अभूतपूर्व संपन्नता का आभास कराता है।

  2. सिल्क की शानदारता: सिल्क का उपयोग साड़ी की विलासी आकर्षण को बढ़ाता है। सिल्क साड़ी अपनी सहमति, धनी चमक, और ढारन की गुणवत्ता के लिए पूज्यवादी है, जिससे ये उत्सवी और स्वार्थी घटनाओं के लिए एक लोकप्रिय चयन बनते हैं।

  3. जटिल ज़ारी काम: साड़ी को जटिल ज़ारी काम से सजाया गया है, जो परंपरा और कुशलता की भावना को जोड़ता है। ज़ारी, सोने या चांदी के धागों का उपयोग करने वाली धातुशिल्प की एक रूप, साड

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