Amrita pritam :एक अधूरे और अमर प्रेम की कवयित्री-नायिका
Amrita Pritam Birth Anniversary:
अमृता प्रीतम का जन्म 31 अगस्त 1919 को ब्रिटिश भारत में गुजरांवाला, पंजाब (जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ था. वे सबसे प्रसिद्ध पंजाबी लेखकों और कवियों में से एक हैं, जिन्होंने फिक्शन, नॉन-फिक्शन, कविता और निबंध लिखे.
नहीं रहे अमृता प्रीतम के इमरोज, 97 साल की उम्र में मशहूर कवि का …
बचपन में मां को खो देने का गम, जवानी से पहले नापसंद शादी की घुटन, साहिर लुधियानवी से अधूरा प्रेम और इमरोज का साथ… कुछ ऐसा था महान कवयित्री और लेखक अमृता प्रीतम का जीवन. आज उनकी 103वीं जयंती है. उनका जन्म 31 अगस्त 1919 को ब्रिटिश भारत में गुजरांवाला, पंजाब (जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ था. आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें.
महज 16 वर्ष की उम्र में हुई शादी
महज 16 साल की उम्र में अमृता की शादी लाहौर के अनारकली बाजार के एक प्रमुख होजरी व्यापारी और एक संपादक के बेटे प्रीतम सिंह से हुई थी. तभी से अमृता के नाम के साथ प्रीतम (पति का नाम) शब्द जुड़ा था. हालांकि, वे इस शादी से खुश नहीं थी फिर भी उन्होंने प्रीतम सिंह के साथ अपनी जिंदगी के सबसे कीमती 33 साल बिताए थे. इसी बीच अमृता के जीवन में शायरी के जादूगर और गज़लों के सरताज साहिर लुधियानवी का आना हुआ. कुछ लोगों को मानना है कि साहिर की वजह से ही अमृता और प्रीतम सिंह का रिश्ता टूटा था, दोनों 1960 में अलग हो गए थे
अमृता प्रीतम की मशहूर नज़्म ‘वारिस शाह से’
amrita pritam poems:
आज वारिस शाह से कहती हूं - अपनी क़ब्र में से बोलो! और इश्क़ की किताब का कोई नया वर्क़ खोलो! पंजाब की एक बेटी रोयी थी, तूने एक लम्बी दास्तान लिखी, आज लाखों बेटियां रो रही हैं वारिस शाह! तुम से कह रही हैं:
ऐ दर्दमन्दों के दोस्त,
पंजाब की हालत देखो
चौपाल लाशों से अटा पड़ा है,
चनाब लहू से भर गया है…
किसी ने पांचों दरियाओं में
एक ज़हर मिला दिया है
और यही पानी
धरती को सींचने लगा है
इस ज़रखेज़ धरती से
ज़हर फूट निकला है
देखो, सुर्खी कहां तक आ पहुंची!
और क़हर कहां तक आ पहुंचा!
फिर ज़हरीली हवा
वन-जंगलों में चलने लगी
उसमें हर बांस की बांसुरी
जैसे एक नाग बना दी…
नागों ने लोगों के होंठ डस लिये
और डंक बढ़ते चले गये
और देखते-देखते पंजाब के
सारे अंग काले और नीले पड़ गये
हर गले से गीत टूट गया,
हर चरखे का धागा छूट गया
सहेलियां एक-दूसरे से बिछुड़ गयीं,
चरखों की महफ़िल वीरान हो गयी
मल्लाहों ने सारी किश्तियां
सेज के साथ ही बहा दीं
पीपलों ने सारी पेंगें
टहनियों के साथ तोड़ दीं
जहां प्यार के नग़में गूंजते थे
वह बांसुरी जाने कहां खो गयी
और रांझे के सब भाई
बांसुरी बजाना भूल गये…
धरती पर लहू बरसा,
क़ब्रें टपकने लगीं
और प्रीत की शहज़ादियां
मज़ारों में रोने लगीं…
आज सभी ‘कैदो’ बन गये –
हुस्न और इश्क़ के चोर
मैं कहां से ढ़ूंढ़ कर लाऊं
एक वारिस शाह और
वारिस शाह! मैं तुमसे कहती हूं
अपनी क़ब्र से बोलो
और इश्क़ की किताब का
कई नया वर्क़ खोलो!
साभार – अमृता प्रीतम
चुनी हुई कविताएं
भारतीय ज्ञानपीठ
अमृता प्रीतम के इमरोज नहीं रहे! 97 वर्षीय इंद्रजीत का मुंबई में निधन
चर्चित चित्रकार और कवि इमरोज का आज मुंबई स्थित उनके आवास पर निधन हो गया. अमृता प्रीतम और इमरोज की प्रेम कहानी के किस्से पढ़-सुनकर एक पूरी पीढ़ी जवान हुई है. इमरोज ने अमृता के लिए अपना पूरा जीवन ही समर्पित कर दिया.
अमृता और इमरोज की अद्भुत प्रेम कहानी का आज समापन हो गया, जब इस कहानी के एक बड़े किरदार इमरोज़ का मुंबई के कांदिवली स्थित उनके आवास पर निधन हो गया. वह 97 वर्ष के थे. इमरोज जरा रोग संबंधी समस्याओं से पीड़ित थे. इमरोज एक शानदार प्रेमी होने के साथ-साथ कवि और मशहूर चित्रकार भी थे. उनके निधन पर साहित्य जगत ने शोक व्यक्त किया है. इमरोज का असली नाम इंद्रजीत सिंह था. वे मशहूर लेखिका और कवयित्री अमृता प्रीतम के साथ रहने के चलते चर्चा में आए थे. अमृता और इमरोज का साथ लगभग 40 साल का था. अमृता प्रीतम के अंतिम दिनों में इमरोज ही उनके साथ थे. अमृता उन्हें जीत कहा करती थीं.
इमरोज ने अमृता प्रीतम के लिए कविताओं की एक पुस्तक भी लिखी थी- ‘अमृता के लिए नज्म जारी है’. इस पुस्तक का प्रकाशन हिंद पॉकेट बुक्स ने वर्ष 2008 में किया था. इसमें वे अमृता के लिए लिखते हैं-
कभी-कभी खूबसूरत खयालखूबसूरत बदन भीअख़्तियार कर लेते हैं।
FaQ-
अमृता प्रीतम का जीवन एक अद्भुत और कल्पनाशील कहानी है जो उनकी कविताओं और नवलों में प्रकट होती है। वे पंजाबी साहित्य के एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली लेखक रही हैं, जो अपने अद्वितीय साहित्यिक योगदान के लिए जानी जाती हैं। यहां कुछ अमृता प्रीतम के जीवन और उनकी कविताओं के बारे में महत्वपूर्ण बातें हैं:
- बचपन में और शादी: अमृता प्रीतम का जन्म 31 अगस्त 1919 को हुआ था और वे माता पिता के साथ गुजराने वाली थीं। उनकी शादी महज 16 वर्ष की आयु में हो गई थी, जो एक प्रमुख होजरी व्यापारी और संपादक के बेटे, प्रीतम सिंह, से हुई थी। इस विवाह से उन्हें तीन पुत्र और एक पुत्री हुईं।
- साहिर लुधियानवी और अधूरा प्रेम: अमृता प्रीतम का इकलौता अधूरा प्रेम साहिर लुधियानवी के साथ रहा, जिन्हें वह अपने कविता संग्रह “साहिर श्रेष्ठ ग़ज़लें” से मिली थीं। उनका यह प्रेम अधूरा रहा, लेकिन साहिर के साथ उनका संबंध साहित्यिक दुनिया में महत्वपूर्ण रहा।
- कविता और साहित्यिक योगदान: अमृता प्रीतम ने विभिन्न रूपों में साहित्यिक योगदान किया, जैसे कि कविता, नाटक, उपन्यास, और निबंध। उनकी कविताएं और नवलें उनके समय के साथ ही भाषा, समाज, और प्रेम जैसे विषयों पर आधारित हैं।
- वारिस शाह से: इस कविता में अमृता प्रीतम ने पंजाब की हालत को चित्रित किया है और उनकी आवाज से प्रेम, विरह, और रोष की कहानी को बयान किया है। “वारिस शाह से” एक ऐतिहासिक परिचय है जो उनकी शैली और विचारधारा को प्रकट करती है।
- अमृता प्रीतम और इमरोज: उनका दूसरा पति, इमरोज़ (इंद्रजीत सिंह) भी एक प्रमुख कवि और चित्रकार थे। उनका साथ रहना उनकी जीवन की आखिरी दशकों में हुआ और इमरोज़ ने अमृता प्रीतम के लिए एक पुस्तक भी लिखी।
अमृता प्रीतम की कविताएं और उनका साहित्यिक योगदान आज भी साहित्य प्रेमियों के बीच महत्वपूर्ण हैं और उन्हें “पं