ramjan mubarak

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2024 ramjan mubarak:जानें रमजान में रोजा रखने के क्या हैं नियम,रोजे कब से शुरू होंगे…read more

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2024 ramjan mubarak:रमजान का महीना मुस्लिम समुदाय के लिए बहुत पाक यानी पवित्र माना जाता है और इस पूरे महीने में रोजा रखते हैं। रोजा शुरू करने से पहले सहरी और रोजा खोलने के लिए इफ्तार किया जाता है। रमजान इस्लामी कैलेंडर का नवां महीना होता है और इसकी शुरुआत चांद देखने के बाद होती है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, इस पाक माह मे पैगंबर मोहम्मद साहब को अल्लाह से कुरान की आयतें मिली थीं इसलिए यह माह बहुत पवित्र माना जाता है। रमजान माह के 30 दिन के रोजों को तीन अशरों में बांटा गया है। पहले 10 दिन के रोजा को रहमत, दूसरे 10 दिन रोजा को बरकत और अंतिम 10 दिन के रोजा में मगफिरत कहा जाता है।

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 ramjan kio mnaya jata hai:किसी भी मुस्लिम समुदाय के लोग से पूछें तो आपको ये जरुर बता सकता है की आखिर रमजान क्यों मनाया जाता है? लेकिन शायद किसी दुसरे समुदाय के लोग को इसके विषय में पता न हो। मुझे लगता है की एक भारतीय होने के कारण हमें जरुर से ये पता होना चाहिए की आखिर ये रमजान क्या है और इसे क्यूँ मनाया जाता है।

भारत समेत दुनिया के अन्य देशों में मुस्लिमों द्वारा अल्लाह के प्रति श्रद्धा हेतु रमजान के पवित्र महीने में रोजे रखे जाते है। मुसलमानों द्वारा ईश्वर के प्रति अपनी कृतज्ञता को प्रकट करने हेतु रमजान में रोजे रखे जाते हैं।

मुस्लिम समुदाय के इस पावन पर्व में रमजान के महीने अर्थात “इबादत का महीने” कहे जाने वाले इस महीने की शुरवात कब हुई? मुस्लिम समुदाय द्वारा रोजे रखने के क्या कारण है? रमजान के इतिहास तथा रोजे रखने के क्या महत्त्व है?

इस लेख में आपको रमजान के विषय पर पूरी जानकारी दी जा रही है! अतः यदि आप भी रमजान के विषय पर जानना चाहते हैं, तो आप बिल्कुल सही लेख पर आये हैं। वैसे हमने पूरी कोशिश करी है आपतक सही जानकारी पहुंचाई जाये। तो आइये बिना देरी किये आज के इस लेख को शुरू करते हैं, और सर्वप्रथम जानते हैं की रमजान क्या है और रमजान क्यों मानते है।

रमजान क्यों मनाया जाता है? जानिए रमजान का महत्‍व व इतिहास

रमजान क्या है – What is Ramadan in Hindi

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रमज़ान या रमदान (उर्दू – अरबी – फ़ारसी : رمضان) इस्लामी कैलेण्डर का नवां महीना होता है। मुस्लिम समुदाय इस महीने को परम पवित्र मानते हैं । रमजान शब्द अरब से निकला है। अर्थात यह एक अरबिक शब्द है जिसका अर्थ है कि “चिलचिलाती गर्मी तथा सूखापन”।

जैसे की मैंने पहले ही बताया है, इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नौंवे महीने रमजान का महीना होता है, जिसमें प्रति वर्ष मुस्लिम समुदाय द्वारा रोजे रखे जाते हैं! इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार यह महीना “अल्लाह से इबादत” का महीना होता है!

मान्यता है कि रमजान के अवसर पर दिल से अल्लाह कि बंदगी करने वाले हर शख्स की ख्वाहिशें पूरी होती है, रमजान के मौके पर मुस्लिम समुदायों द्वारा पूरे महीने रोजे रखे जाते हैं! रोजे रखने का अर्थ वास्तव में ” सच्चे दिल से ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना होता है.

हालांकि वे धार्मिक लोग जिनकी इस दौरान तबीयत खराब होती है, उम्र अधिक होती है, गर्भावस्था के होने तथा अन्य परेशानियां की वजह से रोजे रखने में जो असमर्थ हैं, उन्हें रोजे न रखने की अनुमति होती है।

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रमजान कैसे मनाया जाता है?

रमजान के महीने में रोजे के दौरान मुस्लिम समुदाय द्वारा दिन भर में भोजन या जलपान ग्रहण नहीं किया जाता। साथ ही इस दैरान बुरी आदतों जैसे -सिगरेट, तम्बाकू का सेवन करना सख्त मना होता है!

रोजे रखने वाले रोजेदारों द्वारा सूर्य उगने से पूर्व थोड़ा भोजन खाया जाता है इस समय को मुस्लिम समुदाय द्वारा सुहूर (सेहरी) भी कहा जाता है। जबकि दिन भर रोजा रखने के बाद शाम को रोजेदारों द्वारा जिस भोजन को ग्रहण किया जाता है उसे इफ्तार नाम दिया गया है।

रमजान के महीने में रोजेदार रोजे को खजूर खाकर तोड़ते हैं, क्योंकि इस्लामिक मान्यताओं से पता चलता है कि अल्लाह के दूत को अपना रोजा खजूर खाकर खोलने को कहा गया था। और तब से ही रोजेदार इफ्तार एवं सेहरी में खजूर खाते हैं।

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इसके अलावा खजूर खाना सेहत के लिए भी लाभकारी होता है। विज्ञान के अनुसार खजूर पेट की दिक्कतों, लीवर एवं अन्य कमजोरियों को ठीक करने में मदद करता है, इसलिए रोजेदारों द्वारा खजूर का सेवन किया जाता है।

रमजान का यह महीना ईद-उल-फितर से समाप्त होता है, जिसे मीठी ईद भी कहा जाता है। यह दिन सभी मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए हर्षोल्लास का होता है, वे इस दिन नए कपड़े पहन कर सज-धज के मस्जिद में या ईदगाह जाते हैं और वहां नमाज पढ़कर खुदा को शुक्रिया करते हैं, तथा गले लग कर एक दूसरे को बधाइयां देते हैं।

रोजा का मतलब इस्लाम में क्या होता है?

इस्लाम में रोजा का मतलब होता है उपवास रखना। मुस्लिम धर्म में, रोजा का मतलब है कि उन्हें सुबह से लेकर सूर्यास्त तक कुछ भी खाने-पीने नहीं मिलता है। रोजे के दौरान, मुस्लिमों को दुनियावी चीजों से दूर रहना पड़ता है और उन्हें उनकी आत्मा के विकास के लिए ध्यान केंद्रित करना होता है।

रोजा रखने का मतलब होता है कि मुसलमानों को रमजान के महीने में सवा सौ गुना अधिक इबादत करनी चाहिए और उन्हें गलत और अमानवीय कामों से दूर रहना चाहिए। रोजे के दौरान वे भोजन, पानी, धूम्रपान और सेक्स जैसी सभी भोजन वस्तुओं से दूर रहते हैं।

रमजान का महत्व

मुस्लिम समुदाय के प्रत्येक व्यक्ति के लिए रमजान का महीना सबसे पवित्र महीना होता है।

रमजान के इस पवित्र महीने में पूरे महीने मुस्लिमों द्वारा रोजे रखे जाते हैं, मान्यता है कि रोजे रखने वाले व्यक्ति की ईश्वर द्वारा उसके सभी गुनाहों की माफी दी जाती है।

अतः प्रत्येक मुसलमान के लिए रमजान का महीना साल का सबसे विशेष माह होता है! मान्यता है कि रमजान के महीने में जन्नत के दरवाजे खुले रहते हैं, अतः अल्लाह के प्रति श्रद्धा रखने वाले सभी मुस्लिमो द्वारा रमजान में रोजे रखे जाते हैं। तथा रमजान के बाद मुस्लिमो द्वारा ईद के त्योहार को मनाया जाता है।

इस्लाम में रमजान क्यों मनाया जाता है?

इस्लाम धर्म की मान्यताओं के मुताबिक रमजान का महीना खुद पर नियंत्रण एवं संयम रखने का महीना होता है? अतः रमजान के महीने में मुस्लिम समुदाय द्वारा रोजे रखने का मुख्य कारण है “गरीबों के दुख दर्द को समझना“।

इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार रमजान के महीने में रोजे रखकर दुनिया में रह रहे गरीबों के दुख दर्द को महसूस किया जाता है!

रोजे के दौरान संयम का तात्पर्य है कि आंख, नाक, कान, जुबान को नियंत्रण में रखा जाना! क्योंकि रोजे के दौरान बुरा न सुनना, बुरा न देखना, न बुरा बोलना और ना ही बुरा एहसास किया जाता है। इस तरह से रमजान के रोजे मुस्लिम समुदाय को उनकी धार्मिक श्रद्धा के साथ साथ बुरी आदतों को छोड़ने के साथ ही आत्म संयम रखना सिखाते हैं।

इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि गर्मी में रोजेदारों के पाप धूप की अग्नि में जल जाते हैं! तथा मन पवित्र होता हो जाता है और सारे बुरे विचार रोजे के दौरान मन से दूर हो जाते हैं।

रमजान का इतिहास?

इस्लाम धर्म में रमजान में रोजे रखने का प्रचलन काफी पुराना है इस्लामिक धर्म की मान्यताओं के अनुसार मोहम्मद साहब (इस्लामिक पैगम्बर) को वर्ष 610 ईसवी में जब इस्लाम की पवित्र किताब कुरान शरीफ का ज्ञान हुआ तो तब से ही रमजान महीने को इस्लाम धर्म के सबसे पवित्र माह के रूप में मनाया जाने लगा।

इस्लाम धर्म के लिए इस महीने के पवित्र होने का एक मुख्य वजह भी है कुरान के मुताबिक पैगंबर साहब को अल्लाह ने अपने दूत के रूप में चुना था! अतः यह महीना मुस्लिम समुदाय के प्रत्येक व्यक्ति के लिए विशेष एवं पवित्र होता है जिसमें सभी को रोजे रखना अनिवार्य माना गया है।

रमजान की सच्चाई

इसके अलावा समाज में रमजान के पवित्र महीने में रोजा रखने वाले लोग के लिए कुछ भ्रामक धारणाएं फैली हुई है, आइए उन सच्चाईयों को भी जान लेते हैं।

कहा जाता है कि रमजान के माह में सभी मुस्लिम लोगों के लिए रोजा रखना अनिवार्य है, परंतु असल में यदि कोई व्यक्ति बीमार है या कोई मुस्लिम महिला गर्भवती है, या अन्य किन्हीं परेशानी की वजह से रोजा नहीं रखना चाहते तो यह उनकी व्यक्तिगत इच्छा है कि रोजे रखे या नहीं क्योंकि कुरान में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा गया है।

समाज में कई लोगों को यह भी लगता है कि रोजे रखने के दौरान थूक नहीं निगलना चाहिए! परंतु सच्चाई यह नहीं है हालांकि ऐसा उन्हें इसलिए लगता है क्योंकि रोजा रखने के दौरान पानी पीने की भी मनाही होती है।

इसके अलावा ऐसी भ्रांतियां फैली हुई है कि जिस व्यक्ति ने रोजा रखा है उसके सामने भोजन नहीं करना चाहिए। जबकि ऐसा नहीं है, रोजा रखने वाले व्यक्ति के पास इतनी सहन शक्ति होती है कि यदि उसके सामने दूसरा व्यक्ति भोजन करता भी है, तो रोजेदार की भोजन करने की इच्छा नहीं होती।

इसके अलावा रोजे रखने वाले व्यक्ति द्वारा गलती से किसी चीज़ का सेवन कर लिया जाता है तो इससे रोजा नहीं टूटता! बल्कि जब ऐसा जानबूझकर किया जाता है तो तब रोजा टूटता है।

तो इस तरह की कई अन्य भ्रांतियां समाज में फैली भी हैं, उनमें से कुछ के बारे में उपरोक्त बिंदुओं में बताया गया है।

रमजान के पांच स्तंभ

रमजान इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है और यह दान करने, पुण्य यानी सबाब कमाने और दरियादिली दिखाने के सिद्धांतों से भी जुड़ा है। इस्लाम के पांच अन्य स्तंभों में धर्म पर सच्ची श्रद्धा रखना, नमाज पढ़ना, जकात यानी दान देना और हज करना शामिल है।

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